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क्योँ बैठे हो बेबस बनकर, किस चिंता में डूबे तुम/
जीवन एक लम्बी यात्रा है, जीवन से क्योँ ऊबे तुम//
चिंता तज आगे को देखो, इच्छा-शक्ति जगाओ तो/
मंजिल नहीं रहेगी मुश्किल, पहला कदम बढाओ तो//
असफलता को पीछे छोडो, भावी जीवन में जोश भरो/
ध्यान रहे हरदम मंजिल, उस पर ही जीयो और मरो//
सुप्त शक्तिया जागृत होगी, मन में दृढ-निश्चय कर लो/
बाधाओ से नहीं डिगोगे, यह शाहष मन में भर लो//
ज्यौं-ज्यौं तुम बढ़ते जाओगे, फिर लक्ष्य निकट आ जायेगा/
जग में होगा विजय उद्घोष, मन में शीतलता पहुचायेगा//
तम की बदली छट जायेगी, देदीप्यमान जीवन होगा/
बिखरेगी कांति सफलता की, फिर आलोकित तन-मन होगा//
तिमिर धरा का मिट जाएगा, हो यदि तुममे विश्वास अटल/
मानवता भी सिंचित होगी, पाकर तेरे मन का संबल//
नव युग का निर्माण करोगे, कदम गगन की ओर बढ़ेगे/
अर्जुन सा लक्ष्य समर्पण हो, तो सूरज को भी छू लोगे//
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