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मेरे सपने में लोकपाल

chintan
chintan
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लोकपाल लायी सरकार,
नहीं रहा अब भ्रष्टाचर |
काले धन का रहा न नाम,
कर चोरी पर लगी लगाम|||
अब ना कोई रहा मलाल,
हर थाली में भाजी-दाल|
जमाखोर पर शामत आयी,
बीती बात हुई महंगाई|||
ग्राहक अब ना खाते धोखा,
माल मिल रहा सबको चोखा|
शासन के डंडे का जोर,
छुप गए सभी मिलावटखोर|||
हर बच्चे संग होता न्याय,
शिक्षा का मानक ना आय|
हो गरीब, या हो धनवान,
शिक्षा सबको एक समान|||
पर सुन्दर कल की उम्मीदे,
जब डाल चुकी अपनी डेरा|
जाने क्योँ मेरी आँख खुली,
और टूट गया सपना मेरा|||
पर लोकपाल तुमसे अनुनय,
लूला, लंगड़ा, बीमार न बन|
राजनीति के सम्मोहन में,
बेबस और लाचार न बन||
जन-जन को तुमसे आश लगी,
सत्ता के ना हथियार बनो|
गर भ्रष्टाचार मिटाना तो,
जनता के पहरेदार बनो|||

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